नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई दिनों से विदेश में थे और देश में संसद के नए भवन के उद्घाटन को लेकर सियासी विवाद खड़ा हो गया। आज सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड करते ही पीएम ने विपक्षी दलों को आईना दिखाने की कोशिश की, जिन्होंने 28 मई के कार्यक्रम का बहिष्कार करने की घोषणा की है। पीएम ने यह समझाने की कोशिश की कि लोकतंत्र का सामर्थ्य क्या होता है। उन्होंने कहा, 'साथियो, आपको जानकर खुशी होगी और मैंने अब तक जितना भी देखा, पढ़ा मेरा ध्यान इस तरफ नहीं गया मेरा (उनका इशारा देश में विपक्षी बहिष्कार की तरफ था)... और इसलिए मैं बताना चाहता हूं। भारतीय समुदाय का जो सिडनी में कार्यक्रम था, वहां ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का आना गौरव की बात थी, लेकिन इतना ही नहीं उस समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री भी थे, उस समारोह में सभी विपक्षी दलों के नेता थे। सत्तारूढ़ पार्टी के नेता थे। ये लोकतंत्र का वातावरण... ऑस्ट्रेलिया के लोग चाहे वह पक्ष हो या विपक्ष, उतने ही उत्साह और उमंग के साथ भारतीयों के कार्यक्रम में शरीक हुए थे।'
पीएम ने यह कहकर कांग्रेस समेत 19 विपक्षी पार्टियों के नेताओं को नसीहत दी है कि लोकतंत्र में दुनिया के देशों में किस तरह पक्ष और विपक्ष एक साथ खड़ा दिखाई देता है। संसद के नए भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री के करने की घोषणा पर विपक्ष के नेता हंगामा कर रहे हैं। 20 पार्टियों ने कार्यक्रम का बहिष्कार करने की घोषणा की है जबकि 17 पार्टियों ने शामिल होने की बात कही है। इस पर लोकतंत्र की दुहाई दी जा रही है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का कहना है कि पीएम नहीं, बल्कि राष्ट्रपति को इस भवन का उद्घाटन करना चाहिए।
तड़के मोदी के वेलकम को उमड़े लोग
सिडनी के कार्यक्रम का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि भारत के प्रतिनिधि को, भारत के सेवक को दोनों पक्ष उतना ही आदर और सत्कार कर रहे थे। साथियो, यह यश मोदी का नहीं है। यह यश हिंदुस्तान के पुरुषार्थ का है। 140 करोड़ देशवासियों के जज्बे का है। पीएम मोदी के एयरपोर्ट पर उतरने के बाद भाजपा के नेता, कार्यकर्ता और सरकार के कई मंत्रियों ने पीएम का स्वागत किया। इस दौरान इकट्ठा हुए लोगों को पीएम ने संबोधित किया। लोग मोदी-मोदी के नारे लगा रहे थे। तिरंगा झंडा लिए लोग तड़के ही मोदी का स्वागत करने के लिए पहुंचने लगे थे।