अखिलेश यादव कांशीराम के सहारे मायावती के बचे हुए जनाधार में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे है। मायावती ने तो सपा पर हमला बोलते हुए लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड का जिक्र कर दिया है। 2019 में जब बीएसपी और सपा के बीच गठबंधन हुआ तो मायावती ने गेस्ट हाउस कांड का केस वापस ले लिया था
हाइलाइट्स
- सपा-बसपा गठबंधन मिशनरी भावना के तहत बना- मायावती
- मायावती ने कोर वोटबैंक को बचाए रखने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं
- मायावती ने सपा पर दलित महापुरुषों को अपमान करने का आरोप लगाया है
लखनऊ: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी सरगर्मी बढ़ गयी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भाजपा को पटखनी देने के लिए अब नया सियासी समीकरण तलाश रहे हैं। सपा ने यूपी में दलित राजनीति के संस्थापक कहे जाने वाले कांशीराम (Kanshi Ram) को गले लगा लिया है। रायबरेली के ऊंचाहार में कांशीराम की मूर्ति का अनावरण किया है। मूर्ति अनावरण के बाद से ही मायावती लगातार सपा (Samajwadi Party) के बसपा के दलित वोटबैंक में सेंधमारी को लेकर हमलावर हैं। वहीं मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने मान्यवर की प्रतिमा लगाने को लेकर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर निशाना साधा है। मायावती ने कोर वोटबैंक को बचाए रखने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं। अखिलेश यादव और सपा पर लगातार पलटवार कर वह संदेश दे रही हैं कि इन लोगों ने हमेशा दलितों का अपमान किया है
मायावती ने कहा कि 1995 में लखनऊ का गेस्ट हाउस कांड नहीं हुआ होता तो देश में आज सपा और बसपा की सरकार होती। मायावती ने सपा पर दलित महापुरुषों को अपमान करने का आरोप लगाया है।
'मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम'
सपा पर हमलावर होते हुए बीएसपी चीफ ने कहा, 'सपा प्रमुख की मौजूदगी में ’मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’ नारे को लेकर रामचरित मानस विवाद वाले सपा नेता पर मुकदमा होने की खबर आज सुर्खि़यों में है। वास्तव में यूपी के विकास व जनहित के बजाय जातिवादी द्वेष एवं अनर्गल मुद्दों की राजनीति करना सपा का स्वभाव रहा है।'
'मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम'
सपा पर हमलावर होते हुए बीएसपी चीफ ने कहा, 'सपा प्रमुख की मौजूदगी में ’मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’ नारे को लेकर रामचरित मानस विवाद वाले सपा नेता पर मुकदमा होने की खबर आज सुर्खि़यों में है। वास्तव में यूपी के विकास व जनहित के बजाय जातिवादी द्वेष एवं अनर्गल मुद्दों की राजनीति करना सपा का स्वभाव रहा है।'
सपा-बसपा गठबंधन मिशनरी भावना के तहत बना- मायावती
मायावती ने नेताजी का नाम लेकर नीयत पर सवाल उठाते हुए आगे कहा, 'यह हकीकत लोगों के सामने बराबर आती रही है कि सन 1993 में मान्यवर श्री कांशीराम जी ने सपा-बसपा गठबंधन मिशनरी भावना के तहत बनाई थी, किन्तु श्री मुलायम सिंह यादव के गठबंधन का सीएम बनने के बावजूद उनकी नीयत पाक-साफ न होकर बसपा को बदनाम करने व दलित उत्पीड़न को जारी रखने की रही।'