दुनिया में सबसे मजबूत होंगे भारतीय सशस्त्र बल, मिशन मोड में हो रहा काम
भारतीय सेना क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में हिन्द महासागर क्षेत्र से सक्रिय रूप से जुड़ी रही है। इसी क्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अंडमान और निकोबार कमान (एएनसी) की दो दिवसीय यात्रा सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण समझी जा रही है। इस यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री ने कमान की रक्षा तैयारियों और परिचालन क्षेत्रों के विकास की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आने वाले समय में भारतीय सशस्त्र बल दुनिया में सबसे अधिक मजबूत होंगे। भारत सरकार देश के समुद्री पड़ोसियों के साथ 'ब्रिज ऑफ फ्रेंडशिप' का निर्माण कर समुद्री क्षेत्र को और सुरक्षित कर रही है। जनवरी 2019 के बाद रक्षा मंत्री की पहली यात्रा इंडो-पैसिफिक से इन दूर-दराज के द्वीपों की निकटता को देखते हुए सैन्य रणनीतिक रूप से रक्षा मंत्री की यह यात्रा काफी अहम है। जनवरी 2019 के बाद से रक्षा मंत्री की इंदिरा पॉइंट की यह पहली यात्रा है। रक्षा मंत्री की अंडमान एवं निकोबार कमान की यात्रा ने रणनीतिक संकेतों के अलावा, दूरस्थ द्वीप पर तैनात सैनिकों को प्रेरित किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी यात्रा के दौरान कहा कि 2001 में अपनी स्थापना के बाद से अंडमान और निकोबार कमांड ने अपनी परिचालन क्षमताओं में काफी वृद्धि की है। उन्होंने जवानों को भरोसा दिलाया कि जिस तरह वे देश की सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार हैं, तो उसी तरह सरकार भी उनके कल्याण के लिए हमेशा तैयार है। आत्मनिर्भर रक्षा मिशन पर तेजी से हो रहा काम सरकार सशस्त्र बलों की दक्षता और ताकत बढ़ाने के लिए सभी प्रयास कर रही है। पीएम मोदी के विजन के अनुरूप देश ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया है। आज भारत 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' विजन को साकार करने की दिशा काम कर रहा है। आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ते हुए भारतीय सशस्त्र बल जल्द ही दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं में से एक होगी। रक्षा मंत्री ने इस विषय पर बात करते हुए बताया कि यह हमारा विजन भी है और हमारा मिशन भी है। रक्षा तैयारियों और कमान के परिचालन की हुई समीक्षा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पोर्ट ब्लेयर में देश के एकमात्र ऑपरेशनल जॉइंट सर्विसेज कमांड के मुख्यालय का दौरा किया। उन्होंने अंडमान एवं निकोबार कमांड की ऑपरेशनल तैयारियों और सैन्य क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास कार्यों की समीक्षा की। रक्षा मंत्री को अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की भू-रणनीतिक क्षमता और इस क्षेत्र में भारत के प्रभाव को बढ़ाने और सैन्य अभियानों में कमांड की भूमिका के बारे में जानकारी दी गई। रक्षा मंत्री ने एएनसी ज्वाइंट ऑपरेशंस सेंटर (जेओसी) का भी दौरा किया, जो निगरानी, सैन्य अभियानों के संचालन और रसद संबंधी सहायता के लिये एकीकृत योजना का प्रमुख केंद्र है। पोर्ट ब्लेयर में एकमात्र ऑपरेशनल जॉइंट सर्विसेज कमान पोर्ट ब्लेयर में देश के एकमात्र ऑपरेशनल जॉइंट सर्विसेज कमांड का संचालन किया जाता है, जिसे 2001 में बनाया गया था। अंडमान और निकोबार कमांड 21 साल पुराना सफल इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड है, जिसकी योजना अब राष्ट्रीय स्तर पर बनाई जा रही है। रक्षा मंत्री ने एकमात्र ऑपरेशनल जॉइंट सर्विसेज कमान की चल रही तैयारियों और सैन्य क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास कार्यों की समीक्षा की। अंडमान और निकोबार कमान के कमांडर-इन-चीफ (सीआईएनसीएएन) लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ने रक्षा मंत्री को अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की भू-रणनीतिक क्षमता और इस क्षेत्र में भारत के प्रभाव को बढ़ाने और सैन्य अभियानों में उनकी भूमिका के बारे में रक्षा मंत्री को जानकारी दी। क्यों जरूरी है इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड? ‘थियेटर कमांड सिस्टम’ के पीछे का विचार सशस्त्र बलों की तीन शाखाओं के बीच सहक्रियाशील समन्वय लाना है। इसके अलावा, इसका उद्देश्य सेना, नौसेना, वायु सेना के लिए अलग-अलग कमानों को एक ही कमांडर के नेतृत्व वाली एकीकृत कमान के तहत लाना है। एकीकरण प्रक्रिया अंततः एक ऑपरेशनल हेड के तहत एक ही कमांड में जुड़े हुए एकीकृत सैन्य संपत्ति की ओर अग्रसर होगी, जो किसी दिए गए स्थिति में उनकी गतिविधियों को निर्देशित करने और नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होंगे। ऑपरेशनल क्रियाओं के अलावा, थिएटर कमांड सिस्टम अधिक सुव्यवस्थित लागत और कम लड़ाकू बल में भी योगदान देगा। वार्षिक रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा पेंशन और वेतन में चला जाता है जबकि व्यय हमेशा सशस्त्र बलों की वास्तविक जरूरतों के अनुरूप नहीं बढ़ता है, थिएटर कमांड सिस्टम संसाधनों के आवंटन पर अधिक ध्यान देगा और अतिरेक को कम करने में मदद करेगा।
दुनिया में सबसे मजबूत होंगे भारतीय सशस्त्र बल
दुनिया में अपनी सैन्य क्षमता के लिए प्रसिद्ध भारतीय सेना अपनी कार्य प्रणाली में बदलाव के साथ-साथ आधुनिकीकरण पर भी विशेष ध्यान दे रही है। हथियारों को अपग्रेड करने के लिए रक्षा उद्योग से जुड़े देश के विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर नई रक्षा प्रणाली विकसित की जा रही है। इसी क्रम में रक्षा आत्मनिर्भरता के विजन पर भी सेना तेजी से काम कर रही है, जिसके परिणाम स्वरूप ना केवल स्वदेशी तकनीकों को सेना में अपनाया जा रहा है बल्कि रक्षा निर्यात में भी उछाल देखा गया है। सेना के थिएटराइजेशन के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, राष्ट्रीय रक्षा रणनीति और उच्च रक्षा संगठन के विकास को लेकर भी सेना संकल्पित है। सरकार आने वाले वर्ष में सैन्य बदलावों पर तेजी से काम करते हुए सुरक्षाबलों को और अधिक सशक्त बनाने के लिए पूरी तरह संकल्पित है।
तीन और रेलवे स्टेशनों पर ब्रेल लिपि में जानकारी उपलब्ध, दृष्टि दिव्यांग यात्रियों को होगी सहूलियत
भारतीय रेल दिव्यांग यात्रियों को स्वतंत्र रूप से यात्रा करने में मदद करने के लिए हमेशा से प्रतिबद्ध रहा है। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के इटारसी,भोपाल एवं गुना तीन रेलवे स्टेशनों पर दृष्टि दिव्यांग यात्रियों की यात्रा को आसान बनाने के लिए ब्रेल लिपि में जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं। इस लेख में हम इन तीन रेलवे स्टेशनों पर दृष्टि दिव्यांग यात्रियों को दी जा रही सुविधाओं के अलावा भारत सरकार के 'सुगम्य भारत अभियान' के बारें में भी जानेंगे।
ब्रेल लिपि में सांकेतिक
इसके अंतर्गत प्लेटफॉर्मों, मुख्य प्रवेश द्वार, एफओबी रेलिंग पर ब्रेल लिपि में सांकेतिक चिन्ह लगाए गए हैं। इसके अलावा सीढ़ियों पर परावर्तक पट्टियां, स्टेशन का ब्रेल मानचित्र, पूछताछ काउंटर पर ब्रेल सूचना भी लगाई गई हैं। इससे दृष्टि दिव्यांग यात्रियों को सहूलियत हो रही है और उन्हें ब्रेल लिपि में आसानी से जानकारी मिल रही है। भोपाल रेलवे स्टेशन पर दृष्टि दिव्यांग लोगों को आसानी से जानकारी देने के लिए प्लेटफॉर्म संकेतक और ब्रेल के साथ सामान्य संकेतक, ब्रेल इंडिकेटर उपलब्ध कराए गए है। इसमें प्लेटफॉर्म इंडिकेटर्स, लिफ्ट साईन, टिकट काउंटर संकेतक और अन्य गाइडिंग साइनेजेस शामिल हैं।
व्हीलचेयर की सुविधा
इसके अलावा दिव्यांग यात्रियों को दिव्यांग कोच में चढ़ने के लिए व्हीलचेयर की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। ये सुविधाएं दृष्टि बाधित लोगों, व्हीलचेयर का उपयोग करने वाले लोगों और सुनने में अक्षम लोगों को यात्रा के दौरान दूसरों पर निर्भरता कम करती है और स्वतंत्र रूप से और सम्मान के साथ यात्रा करने में सहायक होती है।
ब्रेल मानचित्र
स्टेशन पर दो ब्रेल मानचित्र स्थापित किए गए हैं। इससे दृष्टि दिव्यांग लोगों को पुरुष और महिला शौचालय, पुरुष और महिला प्रतीक्षालय, दिव्यांग शौचालय, क्लॉक रूम जैसी जरूरी सुविधाओं की पहचान करने में मदद मिल रही है।
देश में और कहां-कहां है दृष्टि दिव्यांग अनुकूल स्टेशन
मैसूर में भारत का पहला दृष्टि दिव्यांग यात्रियों के अनुकूल (visually challenged-friendly) रेलवे स्टेशन बना था। इसके अलावा चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन उत्तर भारत का पहला और देश का चौथा दृष्टिबाधितों के अनुकूल रेलवे स्टेशन बना। देश की पहली दृष्टिबाधित-अनुकूल ट्रेन 2016 में मैसूर रेलवे स्टेशन और वाराणसी के बीच शुरू हुई। इसके अलावा डॉ एमजीआर चेन्नई सेंट्रल, चेन्नई एग्मोर, कोयम्बटूर रेलवे स्टेशन और मुंबई का बोरीवली स्टेशन भी दृष्टिबाधितों के अनुकूल रेलवे स्टेशन हैं।
सुगम्य भारत अभियान
सुगम्य भारत अभियान सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (Department of Empowerment of Person with Disability) का राष्ट्रव्यापी महत्त्वपूर्ण अभियान है। भारतीय रेलवे भी इस अभियान के अंतर्गत अपने रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों को दिव्यांगजन के लिए सुलभ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारतीय रेलवे के सभी स्टेशनों पर दिव्यांगजनों के लिए सुविधाओं का प्रावधान किया गया है। हर पांच साल में स्टेशनों के वर्गीकरण की समीक्षा की जाती है।
4367 स्टेशनों पर कंप्यूटर अनाउंसमेंट सिस्टम, 1125 स्टेशनों पर ट्रेन इंडिकेशन बोर्ड और 644 स्टेशनों पर कोच इंडिकेशन सिस्टम सहित पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध कराए गए हैं, जिन्हें दिव्यांगजन भी एक्सेस कर सकते हैं।
ट्रेनों को दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाने के संबंध में भारतीय रेलवे के बेड़े में लगभग 3,400 दिव्यांगों के अनुकूल इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) डिजाइन के कोच उपलब्ध हैं। इन कोचों में उपयुक्त रूप से डिजाइन किए गए कम्पार्टमेंट और दिव्यांग/व्हील चेयर वाले यात्रियों की जरूरतों के अनुकूल शौचालय हैं। इन कोचों में चौड़ा प्रवेश द्वार, चौड़ी बर्थ, चौड़े डिब्बे, बड़े शौचालय और शौचालय के दरवाजे आदि दिए गए हैं। शौचालयों के अंदर, साइड की दीवारों पर सपोर्ट के लिए अतिरिक्त ग्रैब रेल्स और कम ऊंचाई पर वॉश बेसिन और मिरर भी उपलब्ध हैं। यह प्रयास किया जाता है कि प्रत्येक मेल/एक्सप्रेस ट्रेन में ICF टाइप का कम से कम एक कोच हो।
दृष्टिबाधित यात्रियों की सहायता के लिए, सभी नए निर्मित कोचों में एकीकृत ब्रेल साइनेज, यानी ब्रेल लिपियों वाले साइनेज प्रदान किए जा रहे हैं। इसके अलावा, मौजूदा कोचों में भी चरणबद्ध तरीके से रेट्रो फिटमेंट का काम शुरू किया गया है।
बुजुर्ग, बीमार और दिव्यांग यात्रियों की आसान आवाजाही की सुविधा के लिए और प्रमुख रेलवे स्टेशनों के प्लेटफार्मों तक आसानी से पहुंचने के लिए, 'सुगम्य भारत अभियान' के हिस्से के रूप में एस्केलेटर/लिफ्ट प्रदान किए गए हैं।
क्षेत्रीय रेलों के सभी महाप्रबंधकों को निर्देश दिया गया है कि ग्राहकों से सीधे व्यवहार करने वाले सभी फ्रंटलाइन कर्मचारियों को सॉफ्ट स्किल्स पर विशेष प्रशिक्षण प्रदान करें। इस प्रशिक्षण में ग्राहकों की संतुष्टि पर अधिक जोर दिया गया है।
सभी वाणिज्यिक फ्रंटलाइन कर्मचारियों को यात्री सुविधाओं पर विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है जिसमें दिव्यांग व्यक्तियों के लिए प्रदान की जाने वाली विशेष सुविधाओं और व्हीलचेयर के प्रावधान पर प्रशिक्षण दिया जाता है।
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